पधारो म्हारे अंगना जी गणपति भजन लिरिक्स

🪔 पधारो म्हारे अंगना जी गणपति – भजन लिरिक्स 🪔
पधारो म्हारे अंगना जी गणपति,
आरती उतारूं, करूं मैं वंदन।
सिंदूरी सूरत ललाट चंद्रमा,
मूषक सवार मनोहर दर्शन।।
मोदक लड्डू तुम्हें अति भाये,
रिद्धि सिद्धि संग तुम्हें विराजे।
शिव गौरी के लाल दुलारे,
भक्तों के संकट दूर निपटाए।।
बाजे ढोल मृदंग नगाड़ा,
गूंजे घर-घर मंगल ध्वनि।
सभी करें अब जय जयकार,
पधारो गणपति देवा सदा अंगना।।
🌼 पंक्ति-दर-पंक्ति भावार्थ (Explanation):
पधारो म्हारे अंगना जी गणपति
🔹 हे गणपति बप्पा! कृपया मेरे आंगन में पधारिए।
यह पंक्ति गणपति जी को प्रेमपूर्वक घर में आमंत्रण देने की भावना को दर्शाती है।
आरती उतारूं, करूं मैं वंदन
🔹 मैं आपकी आरती करता हूँ और आपको नमस्कार करता हूँ।
यह भक्त की श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती है।
सिंदूरी सूरत ललाट चंद्रमा, मूषक सवार मनोहर दर्शन।
🔹 आपका शरीर सिंदूरी रंग का है, माथे पर चंद्रमा शोभित है और आप मूषक पर सवार हैं।
गणेश जी के दिव्य रूप का वर्णन है।
मोदक लड्डू तुम्हें अति भाये, रिद्धि सिद्धि संग तुम्हें विराजे।
🔹 आपको मोदक और लड्डू अति प्रिय हैं, आप रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं।
यह पंक्ति गणपति जी की प्रिय वस्तुओं और शक्ति का परिचय देती है।
शिव गौरी के लाल दुलारे, भक्तों के संकट दूर निपटाए।
🔹 आप शिव और पार्वती के प्रिय पुत्र हैं और भक्तों के सभी संकटों को हरते हैं।
बाजे ढोल मृदंग नगाड़ा, गूंजे घर-घर मंगल ध्वनि।
🔹 ढोल, मृदंग और नगाड़ों की ध्वनि से वातावरण मंगलमय हो उठता है।
सभी करें अब जय जयकार, पधारो गणपति देवा सदा अंगना।
🔹 सभी लोग मिलकर जय-जयकार करें और आप हमारे घर सदा पधारते रहें।