गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर में पधारो लिरिक्स

गौरी के पुत्र गणेश जी मेरे घर में पधारो लिरिक्स
गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो।
मन, वचन, कर्म से मैं,
करूँ तुम्हारा सत्कारो॥
लाल सिंदूरी रूप सुहाना,
नेत्रों में है तेज दिवाना।
मस्तक पर है चंदन प्यारा,
मुख में मोदक का उजियारा॥
तुम बिन कोई शुभ कार्य ना हो,
तेरे चरणों में मन को रोको।
मूषक पर सवार हे दाता,
हर लो सारे जीवन त्राता॥
रिद्धि-सिद्धि साथ में लाओ,
सुख, समृद्धि और बुद्धि दिलाओ।
भक्त बनाकर रखना जीवनभर,
अपने प्रेम में हमें डुबाओ॥
हे गजानन, शुभदायक,
विघ्नों को हरने वाले नायक।
गौरी के लाल, हे गणनायक,
मेरे घर में रहो सदा संरक्षक॥
गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो।
करुणा की कृपा वर्षाओ,
हर दिन मंगलमय उजारो॥
✨ भावार्थ (Explanation):
यह भजन भक्त की विनम्र प्रार्थना है कि भगवान गणेश जी — जो माता गौरी के पुत्र हैं — उसके घर में निवास करें और अपने साथ सुख, शांति, बुद्धि और समृद्धि लाएँ।
यह भाव यह दर्शाता है कि जीवन का हर शुभ कार्य गणेश जी की कृपा के बिना अधूरा है।