बजरंगी और रघुवर का रिश्ता निराला है

बजरंगी और रघुवर का रिश्ता निराला है
बजरंगी और रघुवर का
रिश्ता निराला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है।
जब सीता हरण हुआ तो
रघुवर थे घबराए
रघुवर थे घबराए
वन वन में जाकर खोजा
पर खोज नहीं पाए
पर खोज नहीं पाए
तब लंका जलाई जाकर
तब लंका जलाई जाकर
सीता पता निकाला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है।
जब मूर्छित हो गए लक्ष्मण
प्राणों पे बन आई
प्राणों पे बन आई
सूरज उगने से पहले
बूटी थी पिलाई
बूटी थी पिलाई
जो कर ना सका था कोई
तुमने कर डाला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है।
दुनिया में बजे है डंका
दोनों के नाम का
दोनों के नाम का
लेकिन ये फेरे माला
अपने श्री राम का
अपने श्री राम का
‘सनी’ की अटकी नैया
को भव पार निकाला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है।
बजरंगी और रघुवर का
रिश्ता निराला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है
रघुवर पे आया संकट तो
बजरंग ने टाला है।