सुनलो विनती हे पवन कुमार

सुनलो विनती हे पवन कुमार
सुनलो विनती हे पवन कुमार
तन मन से तेरी करता हूँ पूजा
सुन लो मेरी पुकार।
माथे तिलक हाथ में घोटा
कांधे जनेऊ सोहे
लाल बदन अरू लाल लंगोटा
सबके मन को मोहे
घर-घर में है
ज्योति जगे तेरी
महिमा अपरम्पार
सुन लो विनती हे पवनकुमार।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता
शंकर के अवतारी
बज्र देह अतुलित बल बुद्धि
पूजें सब नर नारी
चढ़े चूरमा
ध्वजा नारियल
सिर पर छत्र हजार
सुन लो विनती हे पवनकुमार।
सालासर में धाम तुम्हारा
मेंहदीपुर छवि न्यारी
पुनरासर और डूंगरगढ़ में
तेरी महिमा भारी
चैत्र सुदी
पूनम को आवैं
लाखों ही नर-नार
सुन लो विनती हे पवनकुमार।
इस कलियुग में तेरे जैसा
देव नहीं कोई दूजा
‘श्रीमानस-मण्डल’ सरल भाव से
करता है तेरी पूजा
‘परशुराम’ भी
करता है तेरी
विनती बारम्बार
सुन लो विनती हे पवनकुमार।
सुनलो विनती हे पवन कुमार
तन मन से तेरी करता हूँ पूजा
सुन लो मेरी पुकार।